हमीरपुर, 13 मई, 2020। देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग का मैडीकल व पैरामैडीकल स्टाफ तथा पुलिस विभाग के जवान फ्रंट में रहकर कोविड-19 महामारी से जंग लड़ रहे हैं, जिनका ऋण कभी न चुकाया जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है।
कर्तव्यपरायणता की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन करते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के एक चिकित्सक तथा पुलिस विभाग का जवान कोविड-19 की चपेट में आए हैं जोकि दुखद भी है तथा पूरा प्रदेश उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहा है।
यह बात कांग्रेस के नेता और विधायक राजिंद्र राणा ने एक प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से कही।
लेकिन अब प्रदेश सरकार स्पष्ट करे कि मैडीकल, पैरा मैडीकल स्टाफ तथा पुलिस कर्मचारियों के लिए सरकार क्या नीति लाने जा रही है, ताकि इन्हें प्रोत्साहन मिल सके।
उन्होंने कहा कि कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने इस वर्ग के लिए एक माह का अतिरिक्त वेतन भी दिया है जबकि हिमाचल में प्रोत्साहित करने की बजाय उनका एक दिन का वेतन काटा जा रहा है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से सवाल किया कि जनता भी अब सवाल कर रही है कि इन वर्गों के वेतन में कब तक बढ़ौतरी करने जा रही है, क्योंकि यह वर्ग मुख्यधारा से जुड़कर पूरे समाज को इस महामारी से बचाने में अपने प्राणों की बाजी दांव पर लगाई है।
उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, कांग्रेस के प्रतिपक्ष नेता, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य कांग्रेस नेता इस महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सुझावों भरे पत्र भेज दे रहे हैं तो उससे मुख्यमंत्री तिलतिला क्यों रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है तथा उन्हें अपने सुझाव देना हर व्यक्ति का अधिकार है। ऐसे में प्रदेश सरकार यह भी स्पष्ट करे कि किसी पार्टी के नेताओं को अपने-अपने व्यक्तिगत सुझाव मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए भी एक नेता तय करना होगा। अगर ऐसी परंपरा भाजपा में है तो भी स्पष्ट करें।