युवाओं को नशे से बचाने के लिए विभिन्न विभाग शुरू करें नई गतिविधियांः निशा सिंह

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शिमला। नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए गठित राज्य परियोजना प्रबंधन समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग निशा सिंह ने आज यहां कहा कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए विभिन्न विभाग संयुक्त रूप से नई गतिविधियां आरम्भ करें ताकि युवाओं को सकारात्म्क गतिविधियों में व्यस्त रखा जा सके।

प्रदेश में इस समिति का गठन भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिशा निर्देशानुसार नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना के अन्तर्गत किया गया है।

उन्होंने बैठक में उपस्थित पुलिस, उच्च शिक्षा, युवा सेवाएं एवं खेल, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा सहित अन्य विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा शारीरिक गतिविधियों से जोड़ा जाए, जिसके लिए हाफ मैराथन दौड़, साईकिलिंग, खो-खो सहित अन्य खेल गतिविधियां शिक्षण संस्थानों व शिक्षण संस्थानों के बाहर भी ज्यादा से ज्यादा आयोजित किया जाए, जिसमें पुलिस व एनसीसी विभाग का भी सहयोेग लिया जाए।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के माध्यम से ऐसे कोर्स शुरू किए जाएं जिनसे युवाओं को रोजगार मिल सके।

अभिभावकों को विश्वास में लेकर युवाओं की करियर काउंसलिंग की जाए और उनका भविष्य संवारने के लिए स्कूल व काॅलेज स्तर पर ही कदम उठाए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के नशा मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत राज्य के चार जिलों मंडी, कुल्लू, चंबा व शिमला में इस अभियान को आरम्भ किया गया है जिसकी कार्य योजना तैयार कर इन जिलों में विभिन्न गतिविधियां चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इन चार जिलों में भी अधिकारी नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए पहले से चलाई जा रही गतिविधियों के अलावा भी अन्य गतिविधियां शुरू की जाएं। उन्होंने कहा कि युवाओं को ट्रैकर्ज गतिविधियों से जोड़ने के लिए वन क्षेत्रों में नए ट्रैक रूट शुरू करनेे की संभावनाओं को तलाशा जाए और छोटे-छोटे नए ऐसे ट्रैक रूट तैयार किए जाएं जहां पर प्रदेश के युवा ट्रैकिंग कर सकें।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि प्रायः यह देखा गया है कि अभिभावक अपने बच्चों के बारे में नशली दवाओं के प्रयोग के संबंध में जानते हुए भी अपनी बात किसी से कह नहीं पाते। ऐसे अभिभावकों के सहयोग के लिए हेल्पलाइन शुरू की जाए ताकि कोई भी अभिभावक अपनी बात बिना संकोच कह सके।

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