ट्रावाइवल – नॉट ऑन मैप और हेल्प टूरिज़्म की रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए अनूठी पहल

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हिमाचल प्रदेश। महामारी के बीच नॉट ऑन मैप और हेल्प टूरिज़्म ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों को संकट से उभरने में मदद करने के लिए ICRT इंडिया (अन्तर्राष्ट्रीय सेंटर फ़ोर रेस्पॉन्सिबल टुरिज़म) के सहयोग से एक स्वदेशी परियोजना की शुरूआत की है।

यह परियोजना होमस्टे मालिकों, ग्राम पंचायतों, अध्यापकों/युवाओं और ग्रामीण महिलाओं तथा देश भर के यात्रियों के लिए 18 से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में 150 से अधिक प्रशिक्षण मोड्यूल्स पेश करते हैं, इस तरह वे भारत में ‘रूरल टूरिज़्म’ से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को शामिल करते है।

संपूर्ण प्रशिक्षण को निःशुल्क रखा जाता है। इसके तहत अगले 1 साल में यह तकरीबन 1 लाख गाँवों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया गया है। यह परियोजना 3 महीनों के सतत प्रयासों का अंजाम है, जिसके तहत 2000 से अधिक सामुदायिक सदस्यों के साथ 30 से अधिक वेबिनार आयोजित किए गए। देश भर के 17 राज्यों से लगभग 50 संगठनों को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया।

‘प्रोजेक्ट ट्रावाइवल ट्रेनिंग फॉर ट्रैवल रिवाइवल’ ग्रामीण समुदायों के लिए एक अनूठी पहल है। आज के मुश्किल दौर में जब भारत के ग्रामीण समुदाय आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, ट्रावाइवल ने प्रशिक्षण द्वारा ग्रामीण समुदायों के पुनरूत्थान की योजना बनाई है। जिसके तहत कारोबारों के विकास को सक्षम बनाने के साथ-साथ कोविड-19 की रोकथाम के लिए व्यापक एसओपी का अनुपालन भी किया जाएगा।

‘ग्रामीण समुदायों को इन सरकारी नियमों और स्थायी प्रथाओं के बारे में सिर्फ जानकारी देना ही पर्याप्त नहीं है। यह भी ज़रूरी है कि उद्योग जगत के विशेषज्ञ इस परियोजना के साथ आगे बढ़कर समुदायों को शिक्षित एवं जागरुक बनाने में योगदान दें और उद्योग जगत को समर्थन प्रदान करें।’ कुमार अनुभव, संस्थापक, नॉट ऑन मैप ने कहा।

ये वीडियो न केवल होमस्टे, निजी सुरक्षा एवं हाइजीन जैसे विषयों को कवर करेंगे, बल्कि लोगों को कोविड-19 के दौरान होमस्टे बिज़नेस एवं स्थायी प्रथाओं पर शिक्षित भी करेंगे।

महामारी ने ग्रामीणों के छोटे कारोबारों पर बुरा प्रभाव उत्पन्न किया है, ऐसे में यह पहल बहुत से लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगी। परियोजना के साथ जुड़ी ग्राम पंचायतें इस परियोजना के सुगम संचालन में मदद करेंगी।

प्रोजेक्ट ट्रावाइवल ‘डेवलप एंड डिप्लोय’ की अवधारणा के साथ प्रशिक्षण के ज़रिए समुदाय एवं यात्रियों के लिए ‘न्यूनतम सेवाओं की उम्मीदों’ को सुनिश्चित करेगा। इसके बाद सेर्टिफिकेशन और नियमित ऑडिट भी होंगे।

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