हिमाचल। प्रदेश में यूथ को अब सबसे ज्यादा हार्ट अटैक आ रहे हैं। आईजीएमसी की ओर से मरीजों पर किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि हार्ट अटैक की जद में सबसे ज्यादा यूथ आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बदला हुआ लाइफ स्टाइल माना जा रहा हैं।
100 में से 60 फीसदी यूथ को हार्ट अटैक
आईजीएमसी आने वाले मरीजों पर किए गए सर्वे में सामने आया है कि 100 मरीजों में से 60 फीसदी मरीज ऐसे थे, जिनकी उम्र 18 से 25 साल के बीच हैं। इनमें हार्ट से संबंधित बीमारियां और हार्ट अटैक आने जैसे लक्षण पाए गए हैं।
हर महीने 20 लोगों को आ रहा हार्ट अटैक
हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल में हर महीने 20 ऐसे लोग इलाज करवाने के लिए आते हैं, जिन्हें हार्ट अटैक आता हैं। इसी तरह अस्पताल में हर रोज 7 मरीज हार्ट से संबंधित बीमारियों का इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं।
35 % टाइम पर पहुंच जाते हैं, 65 % पहुंच ही नहीं पाते
सर्वे में सामने आया है कि हार्ट अटैक आने पर 35 % लोग तो समय रहते अस्पताल पहुंच जाते हैं , लेकिन 65% पहुंच ही नहीं पाते। डॉक्टर की मानें तो गोल्डन पीरियड यानि, दो घंटें के अंदर मरीज को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।
बदला हुआ लाइफस्टाइल है प्रमुख कारण
आईजीएमसी के डॉक्टर और कॉडियोलॉजी के प्रो अरविंद कंदौरिया का कहना है कि हमने आईजीएमसी में आने वाले मरीजों पर एक सर्वे किया जिसमें सामने आया कि यूथ को हार्ट अटैक के मामले बढ़ने लगे हैं।
तंबाकू का सेवन हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है , इसके अलावा बदला हुआ लाइफ स्टाइल भी इसके लिए जिम्मेदार है। लोग फास्ट फूड ज्यादा खा रहे हैं, कई प्रकार का नशा कर रहे है।
खानपान की लापरवाही भी कारण
आईजीएमसी के डॉक्टरों का कहना है कि 18 साल से ऊपर के युवाओं में खानपान की लापरवाही से हृदय की धमनियों में थोड़े-बहुत ब्लॉकेज बनने लगते हैं, जो यूं तो तत्काल ख़तरनाक नहीं होते।
लेकिन अगर कोई बेहद तनावपूर्ण स्थिति आ जाए या अचानक कोई सदमा देने वाली घटना हो या कोई संक्रमण ही हो जाए तो इन ब्लॉकेज के पास क्लॉट जम सकते हैं जो अवरोध को बढ़ाकर दिल के दौरे में तब्दील कर देते हैं।
तनाव से दूर रहने की कोशिश करें
डॉक्टरों का कहना हैं कि आज के दौर की आपाधापी में अतिरिक्त मानसिक दबाव बढ़ रहा है। कोविड महामारी के बाद से यह स्थिति और भी बिगड़ गई है। ऐसे में लगातार व्यायाम के बावजूद अतिरिक्त तनाव रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है, जो हृदय पर दबाव बनाता है।
इसलिए अपने निजी और पेशेवर जीवन में तालमेल बिठाएं, उचित मात्रा में नींद लें। शांत वातावरण में वक्त बिताने के लिए समय निकालें, मित्रों या करीबियों के संपर्क में रहें।