सीएए व एनआरसी पर जितना जोर लगाया, उतना सरकार टेस्टिंग के लिए लगाती तो देश आज महामारी के शिकंजे में न होता : अभिषेक

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हमीरपुर 8 मई, 2020। कोरोना लक्षणों की टेस्टिंग पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने कहा है कि सरकार ने अपने सियासी हित साधने के लिए जितना जोर एनआरसी व सीएए पर लगाया था, अगर उससे आधा प्रयास भी महामारी के लक्षणों को पता करने के लिए टेस्टिंग पर लगाया होता तो महामारी की भीषणता आज देश और प्रदेश को इस कदर न डरा रही होती।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के लक्षण पता करने का सबसे बड़ा जरिया टेस्टिंग ही है, लेकिन जब पीक की ओर जा रही महामारी के 40 दिन बाद भी पूरी टेस्टिंग ही नहीं हो पा रही है, तो उपचार व बचाव की बात कैसे मानी जा सकती है।

अभिषेक ने कहा कि महामारी से सहमा देश और प्रदेश सरकार से किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद कर रहा है, लेकिन सरकार 40 दिन का लॉकडाउन पूरा होने के बाद अभी भी जुमला बाजी की मुद्रा में है।

अभिषेक ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि डब्ल्यूएचओ के साथ सरकारी व गैर-सरकारी माध्यमों के जरिए हजारों करोड़ की मदद आने के बाद भी सरकार महामारी से बचाव के मुख्य मकसद टेस्टिंग तक नहीं पहुंच पा रही है और अगर अब भी नहीं चेते तो जल्दी ही हालात बद से बदतर हो जाएंगे।

अभिषेक बोले कि महामारी से निपटने की प्राथमिक तैयारी भी सही ढंग से सरकार अभी तक नहीं कर पाई है। कोविड-19 अस्पतालों में महामारी से हुई मौत के बाद सरकार के पास मृतक देह के संस्कार का कोई इंतजाम अभी तक नहीं है।

जिस वीभत्स, अमर्यादित व अमानवीय तरीके से शिमला में कोरोना पीडि़त का अंतिम संस्कार किया गया है, उससे यह साबित हो गया है कि महामारी की चपेट में आए मरीजों की मौत के बाद भी सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं है।

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