Spread with love

हमीरपुर। केंद्रीय वित्त एवं कार्पोरेट मामले राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य व आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों एवं चिकित्सकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा की और संसदीय क्षेत्र में प्रदत्त स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा भी की।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी के दौर में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है जिसके लिए उन्होंने सभी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की महामारी से पैदा संकट में भी हमें कुछ नया सीखने एवं विपदा से लड़ने के लिए प्रेरणा मिलती है।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि आज की इस कान्फ्रेंस का उद्देश्य हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को और सुदृढ़ करने एवं इसके लिए अभिनव व नवोन्मेषी विचारों को जानना एवं समझना है। उन्होंने चिकित्सक वर्ग से आग्रह किया कि वे अपने नियमित कार्य के अतिरिक्त इन विषयों पर भी विचार सांझा करें कि किस तरह समाज के अंतिम व्यक्ति तक अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाए। साथ ही चिकित्सा को रोजगार से जोड़ने के लिए भी बहुमूल्य सुझाव प्रेषित करें।

उन्होंने कहा कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में सांसद मोबाइल स्वास्थ्य सेवा इस दिशा में उठाया गया एक अभिनव कदम है। इसके माध्यम से दूर-दराज के लोगों को बेसिक मेडिकल टेस्ट की सुविधा तथा मुफ्त दवाएं इत्यादि घर-आंगन में ही उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इससे क्षेत्र की लगभग 800 पंचायतों के करीब छह हजार गांवों में अढ़ाई लाख से अधिक लोग अभी तक स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए देशभर में लगभग 170 मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इनमें से 80 कॉलेज की अधिसूचना जारी की जा चुकी है और अधिकांश में कक्षाएं भी प्रारम्भ हो गई हैं।

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत भी बिलासपुर में एम्ज, हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज, ऊना में पीजीआई सेंटर सहित मातृ-शिशु स्वास्थ्य संस्थान व ट्रॉमा सेंटर इत्यादि स्थापित कर अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का प्रयास उन्होंने केंद्र सरकार के माध्यम से किया है।

उन्होंने कहा कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोग किस तरह की बिमारियों से ग्रसित हो रहे हैं और इनके मूल कारण क्या हैं, इस बारे में विस्तृत डाटा एकत्र किया जाए। इनमें क्या जीवन शैली से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं और अगर ऐसा है तो अस्पतालों से बाहर किस तरह इनका समाधान किया जा सकता है, इस बारे में भी चर्चा समय की जरूरत है।

स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए आपसी समन्वय से एक टीम की तरह कार्य करने की आवश्यकता है और जहां सरप्लस कर्मी हैं, उन्हें कर्मियों की कमी वाले संस्थानों में समायोजित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक पद्धति से भी उपचार कर कई असाध्य रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली तथा अन्य जड़ी-बूटियों व आयुर्वेदिक औषधियों के उत्पादन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पंचकर्मा को केंद्र में रखते हुए यहां मेडिकल टूरिज्म की संभावनाएं भी तलाशी जा सकती हैं।

कॉन्फ्रेंस के दौरान चिकित्सकों की ओर से बहुमूल्य सुझाव भी रखे गए। इस अवसर पर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी, जिला आयुर्वेद अधिकारी सहित लगभग 153 डॉक्टरों ने भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: